Friday, 19 August 2016

क्रमविकास (EVOLUTION)

विकास की मौलिक कल्पना - हम अपने चारो ओर नित्य असंख्य जीव - जन्तुओ को देखते है ! ये सभी जीव जंतु बहुत ही भिन्न - भिन्न प्रकार के होते है ! अर्थात सूक्ष्म एवं सरल - एककोशीय जंतु प्रोटोजोवा से लेकर बहुकोशिया बहुत बड़े बड़े एवं अत्यंत जटिल जंतु होते है ! इशके अतिरिक्त हम यह भी जानते है की जीव ऐसे भी स्थानों पर होते है जहाँ जीवन की तनिक भी संभावना हो ! जन्तुओ में अपने वातावरण के अनुरूप स्वंय को अनुकूल बना लेने की क्षमता होती है ! ऐसी अवस्था में विचारक मनुष्य के मस्तिस्क में इस सम्बन्ध में अनेक प्रश्नों का साधन करने में भी समर्थ है ! 
क्रमविकास का अर्थ - क्रमविकास में सिधांत के अनुसार जितने भी वर्तमान जीव जंतु इस संसार में है ! उनकी उत्पत्ति पूर्व उपस्थित अनेक अन्य जीव जन्तुओ से हुई है ! ये पूर्वज अपेक्षाकृत सरल थे ! धीरे -धीरे कई पीढ़िया तक इनमे अनुवान्सिक परिवर्तन होते गए ! ये सब परिवर्तन इनमे एकत्र होते गए तथा इनके परिणाम स्वरुप वर्तमान जीव जन्तुओ का उदय हुआ ! इसका तात्पर्य यह हुआ की सभी जीव जंतु अपने सामान्य अवतरण (Common Descent) के कारण एक दुसरे से सम्बन्ध है एवं हम इनके पूर्व इतिहास को इनके सामान्य पूर्वज समूह (Common Ancestral Group) तक खोज सकते है ! अधिकांश जीव जन्तुओ के विकास में एक महत्वपूर्ण बात यह है की इनका अनुकूलन किसी विशेष वातावरण के प्रति बढ़ता गया ! फलस्वरूप कभी कभी विशिष्टता उत्पन्न होती गई एवं रचनाओ की तथा उनके कार्यो की भी जटिलता बढती गयी !
किसी भी विशिष्ट जीव के विकास में सदैव दो बातें सम्मलित होती है -  (1) अपनी आबादी के समरूपी दुसरे सदस्यों से जटिल आपसी सम्बन्ध !(2) उसका सम्पूर्ण वातावरण ! अतएव आबादी ही प्रत्येक जीव के अस्तित्व का प्राकृतिक आबादी समूह के अन्य सदस्यों में आपसी संबंधो को बगैर समझे , जाति (Species) को समझ पाना असंभव है , जो सभी विकास सिधांत का केंद्र बिंदु है ! अतः विकास के मूलभूत सिधांत में दो महत्वपूर्ण बातों पर बल दिया जाना चाहिये (1) कैसे जीनी संरचना (Genotype) परिवर्तित होता है एवं शरीर में यह कैसे कार्य करता है ! (2) कैसे वातावरण जीव में अनुकूलन उसकी भिन्नताएँ उसका कायम रहना तथा उसके जीवन इतिहास को प्रभावित करता है ! अतएव वातावरण ही विकास प्रक्रम में निर्देशात्मक शक्ति है ! कैसे जीव वातावरण के प्रति प्रक्रिया करता है , यह उसकी जीनी संरचना अथवा जीन - समूह (gene pool) उसके उत्प्रवार्तित जीन (gene) तथा जीन संयोजन पर आधारित होता है ! जीनी संरचना का अनुकूलन - महत्व उस वातावरण पर निर्भर करता है ! जिसमे जीव रहता है !
क्रमविकास का अध्ययन जीवविज्ञान की एक निश्चित एवं सबसे महत्वपूर्ण शाखाओ में एक है ! इसका अध्ययन भी अन्य महत्वपूर्ण विज्ञानों की भातिं प्रयोगों एवं परीक्षण  पर आधारित होना चाहिए किन्तु क्रम्विक्स के अध्ययन की इस दिशा में अपनी कुछ सीमाएँ है ! विक्स एक अत्यंत धीमा प्रक्रम है ! बहुत सरे विकास आदिकाल में हो चुके है और बहुतेरे यद्यपि कल्पना में निहित है , किन्तु  उन सबका प्रयोगों द्वारा परीक्षण संभव नहीं है ! फिर भी , जीवाश्म (Fossils) हमारे समक्ष विकास  का बहुत स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करते है ! जीव संख्या (Population) अनुवांशाकी भी , कुछ सीमा तक परोक्ष प्रमाण प्रस्तुत करते है !

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