जो रोग मैथुन द्वारासंचारित होता है उसे यौन संचारित रोग कहते है ! जैसे
- गोनोरिया , सिफलिस , हर्पिस , क्लेमिदियता , लैंगिक मस्से एवं विशेष
खतरनाक एच ० आई ० वी० (HIV Human Immunodeficiency Virus ) तथा एड्स (AIDS
Acquired Immunodeficiency Syndrome ) आदि !
(1) यीस्ट जनित रोग -कैंडिडा एल्बिकान्स (Candida Albicans) नमक यीस्ट के संक्रमण से होता है ! इस रोग में पुरुषके शिश्न के शिखर भाग में सिथतमुंड (Glans) में एवं स्त्रियों के बाहा जननांगो मेंखुजली होती है !
(2) प्रोतोजोआट्राईकोमोनास भैजिनैलिस (Trichomonas Vaginalis) द्वारा स्त्रियों की मूत्र - जनन नालिकाओ मेंसंक्रमण के कारण योनि के स्त्राव होता है !
(३) बैक्टीरियानिसेरिया गोनोरी (Nisseria Gonorroeae) के कारण पुरूष की मूत्रनली तथा स्त्रियों में गर्भाशय की ग्रीवासंक्रमित होती है ! इस लैंगिक रोग को गोनोरिया (Gonorrhoea) कहते है !
(4) बैक्टीरिया ट्रेपोनेमा पैलिडम (TreponemaPollidum ) के कारण बाहा जननांगोकी त्वचा मेंफुंसी निकल जाती है ! इस प्रकार के यौन रोग को सिफलिस (Siphilis) कहते है !
(5) बैक्टीरियाक्लैमाइडिया ट्रेकोमेटिस (Chalmydia Trachomatis) क्ले कारण मूत्रमार्ग , सर्विक्स तथा फेलोपियन नलिका संक्रमित होजाते है एवं इन सब अंगो में तेज सुजन हो जाति है ! इन रोगों को क्रमशः उरेथाईटिस (Urethritis)सर्विसाईंटिस (Cervicitis) तथा सल्पिनजाईटिस (Salpingitis) कहते है !
हर्पिस सिम्प्लेस वायरस II(Herpes Simplex Virus II) द्वाराबाहा जननांगो में अत्यधिक जलान्युक्त छाले (Blisters) निकल जाते है ! इस वायरस संक्रमण रोग को हर्पिस कहते है !
ह्यूमन पैपिलोम वायरस(Human Papillome Virus) केसंक्रमण से योनि , बल्वा, शिश्न या गुदाद्वारमें मस्सा (Warts) निकलजाते है !
(8) एक गंभी संक्रामक रोगजिसे एड्स , (Acquired Immunodeficiency Syndrome ) कहते है ,जो मनुष्य में ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसीवायरस (Human Immunodeficiency Virus,HIV) द्वारा संक्रमित होता है ! इससे शरीर की प्रतिरक्षा की क्षमता कम हो जाति है एवंइस कारण रोगी को विभिन्न प्रकार के संक्रमण होने लगते है ! एक स्वास्थव्यक्ति (पुरूष / स्त्री ) के साथ संभोग करता है तब स्वास्थ व्यक्ति(पुरूष / स्त्री ) भी इस रोग का शिकार हो जाता है ! इसका एक और विशेष कारण ! यदि AIDSसे संक्रमित व्यक्ति का रुधिर दूसरे स्वास्थव्यक्ति को चढ़ाया जाए तो वह स्वास्थ व्यक्ति भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है ! HIV से संक्रमित गर्भवती महिला से उसकेभ्रूण में इस रोगको संचरण हो सकता है !
(1) यीस्ट जनित रोग -कैंडिडा एल्बिकान्स (Candida Albicans) नमक यीस्ट के संक्रमण से होता है ! इस रोग में पुरुषके शिश्न के शिखर भाग में सिथतमुंड (Glans) में एवं स्त्रियों के बाहा जननांगो मेंखुजली होती है !
(2) प्रोतोजोआट्राईकोमोनास भैजिनैलिस (Trichomonas Vaginalis) द्वारा स्त्रियों की मूत्र - जनन नालिकाओ मेंसंक्रमण के कारण योनि के स्त्राव होता है !
(३) बैक्टीरियानिसेरिया गोनोरी (Nisseria Gonorroeae) के कारण पुरूष की मूत्रनली तथा स्त्रियों में गर्भाशय की ग्रीवासंक्रमित होती है ! इस लैंगिक रोग को गोनोरिया (Gonorrhoea) कहते है !
(4) बैक्टीरिया ट्रेपोनेमा पैलिडम (TreponemaPollidum ) के कारण बाहा जननांगोकी त्वचा मेंफुंसी निकल जाती है ! इस प्रकार के यौन रोग को सिफलिस (Siphilis) कहते है !
(5) बैक्टीरियाक्लैमाइडिया ट्रेकोमेटिस (Chalmydia Trachomatis) क्ले कारण मूत्रमार्ग , सर्विक्स तथा फेलोपियन नलिका संक्रमित होजाते है एवं इन सब अंगो में तेज सुजन हो जाति है ! इन रोगों को क्रमशः उरेथाईटिस (Urethritis)सर्विसाईंटिस (Cervicitis) तथा सल्पिनजाईटिस (Salpingitis) कहते है !
हर्पिस सिम्प्लेस वायरस II(Herpes Simplex Virus II) द्वाराबाहा जननांगो में अत्यधिक जलान्युक्त छाले (Blisters) निकल जाते है ! इस वायरस संक्रमण रोग को हर्पिस कहते है !
ह्यूमन पैपिलोम वायरस(Human Papillome Virus) केसंक्रमण से योनि , बल्वा, शिश्न या गुदाद्वारमें मस्सा (Warts) निकलजाते है !
(8) एक गंभी संक्रामक रोगजिसे एड्स , (Acquired Immunodeficiency Syndrome ) कहते है ,जो मनुष्य में ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसीवायरस (Human Immunodeficiency Virus,HIV) द्वारा संक्रमित होता है ! इससे शरीर की प्रतिरक्षा की क्षमता कम हो जाति है एवंइस कारण रोगी को विभिन्न प्रकार के संक्रमण होने लगते है ! एक स्वास्थव्यक्ति (पुरूष / स्त्री ) के साथ संभोग करता है तब स्वास्थ व्यक्ति(पुरूष / स्त्री ) भी इस रोग का शिकार हो जाता है ! इसका एक और विशेष कारण ! यदि AIDSसे संक्रमित व्यक्ति का रुधिर दूसरे स्वास्थव्यक्ति को चढ़ाया जाए तो वह स्वास्थ व्यक्ति भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है ! HIV से संक्रमित गर्भवती महिला से उसकेभ्रूण में इस रोगको संचरण हो सकता है !